देश में सड़क और हाईवे निर्माण का काम तेजी से हो रहा है। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और सरकार लगातार नए-नए हाईवे बना रही हैं ताकि यातायात आसान और तेज हो सके। हाईवे बनने के बाद अक्सर उसके किनारे की जमीनों की कीमत कई गुना बढ़ जाती है और लोग इन जमीनों को बेचकर मोटा मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं।
लेकिन अब सरकार ने नेशनल हाईवे किनारे जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़ा नया नियम लागू कर दिया है। इस नियम का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो अपनी जमीन बेचने की सोच रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता लाना और अवैध लेन-देन को रोकना है।
National Highway Property Rule
नए नियम के तहत अब नेशनल हाईवे किनारे जमीन बेचने या खरीदने से पहले सरकारी मंजूरी (Approval) जरूरी होगी। बिना अनुमति के की गई जमीन की बिक्री को अवैध माना जाएगा।
पहले लोग हाईवे बनने की जानकारी मिलते ही जमीन की खरीद-फरोख्त शुरू कर देते थे, जिससे कई बार गरीब किसानों को कम दाम पर जमीन बेचनी पड़ती थी और माफियाओं को फायदा मिलता था। अब इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने यह नियम कड़ा कर दिया है।
क्यों लागू किया गया नया नियम?
पिछले कुछ सालों में यह देखा गया कि हाईवे प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद बड़ी संख्या में जमीनों की बंदरबांट होने लगी थी। कई जमाखोर और बिचौलिये जमीन खरीदकर सरकार को मुआवजा मिलने के समय ऊंची कीमत पर बेच देते थे।
इससे असली किसान और जमीन मालिक को उचित लाभ नहीं मिल पाता था, जबकि माफिया करोड़ों कमा लेते थे।
इसी गड़बड़ी को रोकने के लिए सरकार ने नया नियम लागू किया है ताकि केवल वास्तविक मालिक और लाभार्थी को ही जमीन का उचित मुआवजा मिल सके।
अब कैसे होगी जमीन की बिक्री?
यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन नेशनल हाईवे अथवा उसके आसपास बेचना चाहता है, तो उसे पहले संबंधित जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
भूमि का पंजीकरण तभी होगा जब सभी दस्तावेज पूरी तरह से सही पाए जाएंगे और सरकारी मंजूरी मिल जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जमीन का असली मालिक ही फैसला ले रहा है और सौदे में कोई धोखाधड़ी नहीं हो रही।
इस प्रक्रिया से जमीन बेचने वाले को भी उचित दाम मिलेगा और खरीदार को भी कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
किसानों और जमीन मालिकों पर असर
इस नए नियम से किसानों और असली जमीन मालिकों को फायदा होगा। अब उनकी जमीन को कम दामों पर खरीदने का खेल खत्म हो जाएगा क्योंकि बिना मंजूरी कोई भी जमीन की डील नहीं कर पाएगा।
जब सरकार उस जमीन का अधिग्रहण करेगी तो असली मालिक को ही मुआवजा मिलेगा, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
हाँ, जिन बिचौलियों और माफियाओं का धंधा जमीन खरीद-फरोख्त पर टिका था, उन पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
खरीदारों को भी होगा लाभ
नई व्यवस्था से खरीदार भी सुरक्षित रहेंगे क्योंकि जब तक जमीन का पूरा रिकॉर्ड और मंजूरी नहीं होगी, तब तक सौदा पूरा नहीं होगा।
अक्सर ऐसा होता था कि जमीन की बिक्री में नकली दस्तावेज या अवैध रिकॉर्ड दिखाकर डील की जाती थी, जिससे बाद में विवाद होते थे। अब मंजूरी प्रक्रिया से यह खतरा कम होगा।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी की भूमिका
NHAI और राज्य सरकारें मिलकर जमीन अधिग्रहण और इसमें होने वाली पारदर्शिता पर नजर रखेंगी। हाईवे प्रोजेक्ट से जुड़ी जमीनों के रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो।
इसके अलावा, जिला स्तर पर विशेष समितियां बनाई गई हैं जो हर सौदे की जांच करके ही मंजूरी देंगी।
निष्कर्ष
नेशनल हाईवे किनारे जमीन की बिक्री और खरीद से जुड़ा नया नियम आम किसानों और असली जमीन मालिकों के लिए राहत लेकर आया है। अब जमीन की खरीद-फरोख्त पूरी तरह से पारदर्शी और सुरक्षित होगी।
इससे माफियाओं और बिचौलियों का खेल खत्म होगा और असली लाभ सीधे उस भूमि के मालिक को मिलेगा। यदि आप भी हाईवे किनारे जमीन बेचने या खरीदने की सोच रहे हैं, तो ध्यान रखें कि अब बिना अनुमति यह प्रक्रिया संभव नहीं होगी।