Navratri 2025: पांचवे दिन स्कंदमाता माता की पूजा ऐसे करें, जानें मंत्र और भोग

Published On: September 25, 2025
Navratri Fifth Day Puja

नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन माँ दुर्गा का एक विशेष स्वरूप पूजित होता है। नवरात्रि का पंचम दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित होता है, जो माँ दुर्गा का पाँचवां रूप है। माँ स्कंदमाता कार्तिकेय (भगवान स्कंद) की माता हैं। वह अपने भक्तों को स्नेह, शक्ति और समृद्धि प्रदान करती हैं।

इस दिन विशेष पूजा-उपचार, मंत्रों का जप, और शुभ रंग वस्त्र पहनकर माँ स्कंदमाता की अराधना की जाती है। मां स्कंदमाता की पूजा से मानसिक शांति, संतान सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस लेख में नवरात्रि 2025 के पांचवे दिन की स्कंदमाता पूजा विधि, मंत्र, शुभ रंग, भोग, कथा और उपाय के बारे में सरल और आसान भाषा में बताया गया है।

नवरात्रि पांचवा दिन स्कंदमाता पूजा विधि, मंत्र, रंग, भोग, कथा, उपाय

स्कंदमाता का स्वरूप और महत्व

माँ स्कंदमाता कमल के पुष्प पर सिंघासन पर विराजित होती हैं। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक में उनका पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) बालरूप में विराजमान होता है। एक हाथ में कमल का पुष्प होता है, एक वरमुद्रा में होता है और एक हाथ आशिष देने की मुद्रा में होता है। माँ स्कंदमाता करुणा, ममता और शक्ति की देवी हैं। उनकी पूजा से जीवन में सुख, शांति, संतान सुख और सफलता मिलती है।

पूजा की विधि

  • सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  • माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल या पवित्र जल से स्नान कराएं।
  • माँ को कुमकुम, रोली, चन्दन, पुष्प, फल, मिठाई, पान का पत्ता, लौंग, इलायची आदि अर्पित करें।
  • दीपक और धूप जलाएं।
  • मां के समक्ष फूल, फल और मिठाई भोग लगाएं।
  • अंत में मां की आरती करें और प्रार्थना करें।

स्वागत योग्य रंग

नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता के पूजा में पीला और सफेद रंग शुभ माना जाता है। सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है जबकि पीला रंग सुख और समृद्धि का संकेत है। इस दिन पीले या सफेद कपड़े पहनना मां को प्रसन्न करता है।

मां स्कंदमाता का प्रिय भोग

  • केले का भोग विशेष रूप से प्रिय है।
  • केले की खीर, हलवा, या मिठाई मां को चढ़ाई जाती है।
  • इसके अतिरिक्त केसर वाली खीर, फल, मिश्री आदि भी भोग में अर्पित कर सकते हैं।

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

सामग्रीउपयोग
माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्रपूजा का केंद्र
कुमकुम और रोलीतिलक लगाने हेतु
कमल के फूलमाँ की अराधना में प्रयुक्त
केलेभोग के रूप में अर्पित
मिठाई और खीरभोग में लगाया जाता है
पान का पत्तापूजा में शामिल
धूप और दीपकपूजा के दौरान जलाए जाते हैं
साफ और शुभ वस्त्रपहनने के लिए (पीला/सफेद रंग)

मुख्य मंत्र

माँ स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जप किया जाता है-

  • सरल बीज मंत्र:
    ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नमः॥
  • ध्यान मंत्र:
    सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
    शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
  • स्तुति मंत्र:
    या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्कंदमाता की पूजा कथा और महत्व

माँ स्कंदमाता का नाम उनके पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) के नाम से पड़ा है। उनका यह रूप बहुत ही करुणामय और ममतामयी है। कहा जाता है कि इस दिन मां अपने भक्तों पर अपनी कृपा और स्नेह भारी मात्रा में बरसाती हैं। पूजा-अर्चना से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और भक्तों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। स्कंदमाता की विधिवत पूजा से संतान सुख के साथ ही मोक्ष का मार्ग भी सुगम होता है।

उपाय एवं लाभ

  • संतान की प्राप्ति हेतु स्कंदमाता की व्रत पूजा कठिन भाव से करनी चाहिए।
  • भक्तों को प्रतिदिन कम से कम 108 बार मंत्रों का जप करना चाहिए।
  • पीले रंग के वस्त्र पहनकर और केले का भोग लगाकर देवी की पूजा करने से अत्यंत लाभ होता है।
  • पूजा के बाद फल, मिठाई और प्रसाद वितरण करें।
  • मां के भक्तों पर माँ की विशेष कृपा बनी रहती है, जो सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती है।

Chetna Tiwari

Chetna Tiwari is an experienced writer specializing in government jobs, government schemes, and general education. She holds a Master's degree in Media & Communication and an MBA from a reputed college based in India.

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