भारत में किराए पर मकान देना या लेना लाखों लोगों की ज़रूरत है। शहरी इलाकों में नौकरी, पढ़ाई या व्यापार के लिए बसे लोग किराए के मकान में रहना ही पसंद करते हैं। ऐसे में मकान मालिक और किराएदार के बीच कई बार विवाद या गलतफहमियाँ भी पैदा हो जाती हैं। इसी कारण सरकार ने समय-समय पर किराए से जुड़े कानून और नियमों में बदलाव किए हैं, ताकि दोनों पक्षों के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
हाल ही में सरकार ने मकान किराए पर देने से जुड़े कुछ नए नियम लागू किए हैं जिन पर सभी मकान मालिकों और किराएदारों को ध्यान देना ज़रूरी है। इन नियमों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, विवादों को कम करना और दोनों पक्षों को कानूनी सुरक्षा देना है। अगर इन नियमों को सही से न अपनाया जाए तो दिक्कतें और कानूनी झंझट खड़े हो सकते हैं।
कई बार लोग जल्दीबाज़ी या जानकारी के अभाव में किराए का समझौता बिना लिखित अनुबंध के कर लेते हैं, जो आगे जाकर बड़ी परेशानी का कारण बनता है। नए नियमों के अनुसार अब यह गलती नहीं करनी चाहिए और हर सौदे को लिखित रूप में ही करना अनिवार्य है।
House Rent New Rule
सरकार ने वर्ष 2021 में मॉडल टेनेंसी एक्ट को लागू करने की घोषणा की थी जिसका असर अब राज्यों और शहरों में देखने को मिल रहा है। इस एक्ट का मकसद किराए के मकान से जुड़े विवादों और ग़लतफहमियों को न्यूनतम करना है। इसके अंतर्गत मकान मालिक और किराएदार दोनों को विशेष अधिकार और दायित्व दिए गए हैं।
नए नियम के तहत मकान देने से पहले मकान मालिक और किराएदार के बीच लिखित एग्रीमेंट ज़रूरी कर दिया गया है। इसमें किराया, जमा राशि, किराए की अवधि और शर्तें साफ-साफ लिखी जानी चाहिए। बिना लिखित एग्रीमेंट के अगर कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई मुश्किल हो सकती है।
साथ ही, राज्यों को किराए से जुड़े मामलों के लिए अलग रेन्ट अथॉरिटी और रेंट कोर्ट बनाने का अधिकार दिया गया है। इससे विवाद जल्दी सुलझाए जा सकेंगे और दोनों पक्षों को न्याय मिलेगा। पुराने ज़माने में किराए के विवाद सालों चलते रहते थे, लेकिन अब नए नियम के बाद स्थिति में सुधार आएगा।
सुरक्षा राशि और किराया
पहले कई बार देखा जाता था कि मकान मालिक मनमानी करके किराएदार से बहुत ज़्यादा सिक्योरिटी डिपॉज़िट मांग लेते थे। अब नए नियम के अनुसार, आवासीय मकानों के लिए अधिकतम दो महीने का किराया ही सिक्योरिटी डिपॉज़िट के रूप में लिया जा सकता है। वहीं अगर मकान व्यावसायिक प्रयोग के लिए दिया जा रहा है तो अधिकतम छह महीने का किराया सिक्योरिटी डिपॉज़िट के तौर पर लिया जा सकेगा।
इस बदलाव से किराएदारों को राहत मिलेगी और उन्हें शुरुआत में भारी आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। साथ ही मकान मालिक को भी यह भरोसा रहेगा कि उचित सुरक्षा राशि उनके हित की रक्षा करेगी। किराए की राशि कितनी होगी और उसमें वृद्धि कब होगी, यह सब एग्रीमेंट में उल्लेखित होना चाहिए ताकि भविष्य में विवाद न हो।
मकान मालिक और किराएदार की जिम्मेदारियां
नए नियमों में मकान मालिक और किराएदार की जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से बताई गई हैं। मकान मालिक को मकान की बुनियादी मरम्मत, जैसे पानी और बिजली की सुविधा बनाए रखना होता है। वहीं किराएदार को छोटे-मोटे नुक़सान, जैसे दरवाज़ा या खिड़की का खराब होना, खुद ठीक कराने की जिम्मेदारी होगी।
मकान खाली करने के मामले में भी नए नियम दिए गए हैं। किरायेदार को समय से पहले मकान खाली करना हो तो उसे मकान मालिक को पहले से नोटिस देना होगा। वहीं, मकान मालिक बिना उचित कारण के अचानक किरायेदार को बेदखल नहीं कर सकता। इससे दोनों पक्षों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे।
आवेदन और पंजीकरण की प्रक्रिया
अगर कोई मकान मालिक अपना मकान किराए पर देना चाहता है, तो उसे सबसे पहले किराएदार के साथ लिखित एग्रीमेंट बनाना होगा। यह एग्रीमेंट स्टाम्प पेपर पर होना चाहिए और इसमें सभी शर्तें साफ दर्ज हों। इसके बाद इसे स्थानीय तहसील या संबंधित पंजीकरण कार्यालय में रजिस्टर्ड कराना होगा।
कुछ राज्यों ने अब इस प्रक्रिया को ऑनलाइन भी शुरू कर दिया है जिससे किरायेदारी अनुबंध को आसानी से पंजीकृत किया जा सकता है। यह पंजीकरण केवल कानूनन मान्यता देने के लिए ही नहीं, बल्कि किसी विवाद की स्थिति में साक्ष्य के रूप में भी काम आता है।
इस नियम को न मानने पर परेशानी
अगर मकान मालिक बिना एग्रीमेंट या पंजीकरण के मकान किराए पर देता है और आगे चलकर किराएदार भुगतान से इनकार करता है, तो ऐसे मामलों में उसे कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी। उसी तरह किराएदार भी अगर लिखित एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर नहीं करता है तो उसके अधिकार सुरक्षित नहीं रहेंगे। इसलिए भूलकर भी इस गलती को न करें और हर बार लिखित और पंजीकृत एग्रीमेंट तैयार कराएं।
निष्कर्ष
नए किराया नियम मकान मालिक और किराएदार दोनों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनके पालन से न केवल विवाद कम होंगे बल्कि रिश्तों में भी पारदर्शिता आएगी। इसलिए अगर आप मकान किराए पर देते या लेते हैं, तो इन नियमों की पूरी जानकारी रखें और कभी भी बिना लिखित अनुबंध के सौदा न करें।