भारत में जमीन और संपत्ति खरीद-बिक्री हमेशा से ही एक बड़ा विषय रही है। जमीन रजिस्ट्री से जुड़े नियम अक्सर आम लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं, क्योंकि यही वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी भी संपत्ति का मालिकाना हक तय होता है। सरकार समय-समय पर इन नियमों में बदलाव करती रहती है ताकि पारदर्शिता लाई जा सके और धोखाधड़ी को रोका जा सके।
1 अक्टूबर 2025 से जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े नए नियम लागू कर दिए गए हैं। इस बदलाव को लागू करने का उद्देश्य नागरिकों के लिए रजिस्ट्री प्रक्रिया को आसान और सुरक्षित बनाना है। अब जमीन खरीदने-बेचने वाले लोग पहले की तुलना में आधुनिक और पारदर्शी व्यवस्था का लाभ उठा सकेंगे।
इन नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब लोगों को अनावश्यक चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और गलत दस्तावेज़ों या फर्जीवाड़े की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। सरकार का दावा है कि इससे आम नागरिक का समय और पैसा दोनों बचेंगे और भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।
Land Registry
पहले जमीन की रजिस्ट्री के लिए कागजी दस्तावेजों पर ज्यादा निर्भरता होती थी, जिसके चलते अक्सर गड़बड़ियां सामने आती थीं। अब नया नियम यह कहता है कि रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से संपन्न होगी। नागरिक ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपने दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं और सत्यापन के बाद उनकी संपत्ति की रजिस्ट्री हो जाएगी।
इस डिजिटल व्यवस्था में आधार कार्ड, पैन कार्ड और मोबाइल नंबर को अनिवार्य रखा गया है। इसका फायदा यह होगा कि व्यक्ति की पहचान में कोई भ्रम नहीं होगा और संपत्ति गलत नाम से दर्ज नहीं हो सकेगी। इससे भूमाफिया और बिचौलियों के लिए रास्ता काफी हद तक बंद हो जाएगा।
आधार और बायोमेट्रिक से होगी पुष्टि
नए नियम के अनुसार जमीन की रजिस्ट्री अब केवल आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद ही पूरी होगी। यानी खरीदार और विक्रेता दोनों का आधार और अंगुली की छाप मशीन पर लिए जाएंगे। इससे किसी भी फर्जी व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्री होने की गुंजाइश नहीं बचेगी।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि बायोमेट्रिक सत्यापन के बिना कोई भी रजिस्ट्री मान्य नहीं होगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि दस्तावेज़ों की सुरक्षा और स्वामित्व की गारंटी पूरी तरह सुनिश्चित हो सके।
ऑनलाइन पोर्टल से होगी पूरी प्रक्रिया
नया नियम यह भी कहता है कि अब ज्यादातर काम ऑनलाइन पोर्टल से होगा। नागरिकों को अपने घर से ही आवेदन करने की सुविधा मिलेगी। पोर्टल पर आवेदन करने के बाद ही उन्हें निर्धारित दिन पर संबंधित कार्यालय में जाकर बायोमेट्रिक सत्यापन कराना होगा।
इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि लोगों को बार-बार तहसील या रजिस्ट्री कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। प्रक्रिया को सरल और सहज बनाने के लिए सरकार ने हेल्पलाइन और ई-गाइड सुविधा भी उपलब्ध कराई है।
स्टांप ड्यूटी और शुल्क में पारदर्शिता
नए नियमों में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क को भी पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है। पहले लोगों को सही-सही जानकारी न होने के कारण अधिक पैसे खर्च करने पड़ते थे। अब ऑनलाइन पोर्टल पर ही तय दरें उपलब्ध होंगी, जिससे नागरिक बिना किसी बिचौलिए के सीधे भुगतान कर पाएंगे।
इस बदलाव से सरकार को राजस्व में भी वृद्धि होगी और लोग किसी तरह की ठगी से बच जाएंगे। पारदर्शी व्यवस्था से उन्हें यह भरोसा भी मिलेगा कि उनका पैसा सही जगह जमा हो रहा है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लाभ
यह नया नियम सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर जमीन खरीद-बिक्री के दौरान विवाद होते रहते हैं। अब ऑनलाइन और बायोमेट्रिक प्रणाली के जरिए सही हकदार का नाम तुरंत दर्ज हो जाएगा।
सरकार का लक्ष्य है कि इस कदम से ग्रामीण जनता को भी न्याय और सुविधा मिल सके। जिन किसानों या छोटे जमीन मालिकों को तकनीकी जानकारी नहीं है, उनके लिए सरकारी केंद्रों पर विशेष कर्मी नियुक्त किए जाएंगे।
नागरिकों के लिए क्या करना होगा
यदि कोई नागरिक अब जमीन की रजिस्ट्री कराना चाहता है तो उसे सबसे पहले ऑनलाइन पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराना होगा। आवश्यक दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, संपत्ति से जुड़े नक्शे और पुराने दस्तावेज़ स्कैन करके अपलोड करने होंगे।
इसके बाद आवेदन की जांच होगी और नागरिक को बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए तारीख दी जाएगी। निर्धारित तारीख को कार्यालय जाकर सत्यापन कराने के बाद ही रजिस्ट्री पूरी होगी। शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन करना होगा।
निष्कर्ष
1 अक्टूबर 2025 से लागू नया जमीन रजिस्ट्री नियम नागरिकों के लिए एक बड़ा बदलाव है। डिजिटल और बायोमेट्रिक प्रणाली से यह प्रक्रिया न केवल सुरक्षित होगी बल्कि पारदर्शी भी होगी। सरकार का मानना है कि इससे लोग अब बिना डर और धोखाधड़ी के आसानी से जमीन की रजिस्ट्री कर पाएंगे।