देश में लंबे समय से पेट्रोल और डीजल की कीमतें आम जनता के लिए बड़ी मुसीबत बनी हुई थीं। हर महीने इनके दामों में उतार-चढ़ाव से आम आदमी का बजट बिगड़ जाता था। पेट्रोल और डीजल पर अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा वैट और केंद्र सरकार द्वारा लगने वाले करों की वजह से कीमतें और भी बढ़ जाती थीं। यही कारण था कि अक्सर जनता यह मांग करती रही कि पेट्रोल-डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाया जाए।
अब सरकार ने इस मांग पर सकारात्मक कदम उठाते हुए पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल कर लिया है। इस फैसले के बाद देशभर में इनकी दरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल आम जनता को राहत देगा, बल्कि देशभर में ईंधन की कीमतों को एक समान कर देगा और महंगाई पर भी काबू मिलेगा।
Petrol Diesel Price
जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर एक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है, जिसे एक समान कर ढांचे के तौर पर पूरे देश में लागू किया गया है। पहले पेट्रोल और डीजल इस व्यवस्था से बाहर थे, लेकिन अब इन्हें भी इसमें शामिल कर लिया गया है। इसका मतलब है कि अब पेट्रोल और डीजल पर अलग-अलग राज्य सरकारों के टैक्स और केंद्र के भारी-भरकम एक्साइज ड्यूटी की जगह केवल एक तयशुदा जीएसटी दर ही लागू होगी।
इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि अब देशभर में पेट्रोल और डीजल की एक समान कीमत मिलेगी। पहले जहां एक ही देश के भीतर अलग-अलग राज्यों में इनके रेट में बड़ा फर्क होता था, अब वह दूरी खत्म हो गई है। जीएसटी काउंसिल ने पेट्रोल और डीजल पर 28 प्रतिशत की दर तय की है, जबकि पहले इन पर कई स्तर के कर लागू होते थे।
कीमतों में आई भारी गिरावट
जीएसटी लागू होने के बाद पेट्रोल और डीजल की दरों में 20 से 25 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। पहले जहां पेट्रोल 100 से अधिक रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया था, वहीं अब यह 70 से 75 रुपये प्रति लीटर तक आ गया है। इसी तरह डीजल की कीमत, जो 90 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई थी, वह घटकर 65 रुपये तक आ गई है।
इस बदलाव का असर सीधे तौर पर आम लोगों की जेब पर पड़ा है। छोटी गाड़ियों से लेकर दोपहिया वाहन चलाने वाले तक इस राहत को महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा ट्रक और मालवाहन गाड़ियां जिनमें डीजल की खपत ज्यादा है, उनकी लागत में कमी आई है। इसका सीधा फायदा सामान की ढुलाई और परिवहन से जुड़े खर्चों पर दिख रहा है।
महंगाई पर नियंत्रण और जनता को राहत
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आते ही रोजमर्रा की चीजों की महंगाई पर भी नियंत्रण होता दिख रहा है। ट्रांसपोर्ट की लागत कम होने से खाद्य पदार्थ, अनाज, सब्जियाँ और अन्य उपभोक्ता वस्तुएं पहले की तुलना में सस्ती हो रही हैं। खुदरा बाजार में इसका असर धीरे-धीरे लेकिन सकारात्मक रूप से महसूस किया जा रहा है।
इससे आम जनजीवन पर सीधा असर पड़ा है। पहले लोग बार-बार तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर नाराज़ रहते थे, लेकिन अब कई परिवारों ने राहत की सांस ली है। सरकार का यह कदम जनता और मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देने वाला साबित हुआ है।
सरकार और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
सरकार का तर्क है कि यह फैसला बाजार की स्थिरता और जनता की सुविधा को ध्यान में रखकर लिया गया है। लंबे समय से चल रही मांग को देखते हुए अब देश में ईंधन की कीमतों को नियंत्रित और संतुलित करने की दिशा में काम हुआ है। उद्योग जगत की ओर से भी इस कदम का स्वागत किया गया है। उनका मानना है कि परिवहन और उत्पादन की लागत घटने से व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा और प्रतिस्पर्धा का माहौल मजबूत होगा।
पेट्रोलियम कंपनियां भी इस बदलाव से संतुष्ट हैं। उनके अनुसार, एक समान कर व्यवस्था से अब मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता आएगी और अनावश्यक कर दबाव से छुटकारा मिलेगा।
आम जनता के लिए ऐतिहासिक कदम
यह कहना गलत नहीं होगा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाना एक ऐतिहासिक कदम है। जहां पहले इन पर कर की जटिलता ने जनता और उद्योगों दोनों को परेशान किया था, अब वह स्थिति बदल गई है। जीएसटी लागू करने से सरकार को टैक्स वसूली पारदर्शी तरीके से मिलेगी और जनता को एक समान दरों पर ईंधन उपलब्ध होगा।
निष्कर्ष
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करने के इस फैसले से देशभर में इनकी कीमतें स्थिर हुई हैं और आम आदमी को बड़ी राहत मिली है। न केवल महंगाई पर नियंत्रण हुआ है बल्कि आर्थिक विकास की राह भी और सरल हुई है। यह कदम वास्तव में जनता केंद्रित और दूरगामी लाभ देने वाला साबित होगा।